Farmer Protest reasons & demands-पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश किसान भाईयो का विरोध प्रदर्शन का कारण और उनका मांग क्या है –
आपने अब तक तमाम खबरें सुनी होंगी कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के जो किसान है वो एक बार फिर से दिल्ली की ओर अपने विरोध प्रदर्शन को लेकर के बढ़ रहे हैं और इसी को देखते हुए दिल्ली के प्रशासन की ओर से इस पूरे एरिया में इसके जो बॉर्डर वाला एरिया है वहाँ पर धारा 144 भी लागू कर दी गई है। तो आज इस लेख में हम इसी विषय पर विस्तार से बात करेगे।
इस लेख मे उन बिंदुओं की बताने वाले है जिनके कारण किसान भाई विरोध प्रदर्शन कर रहे है और आगे जानेगे की एम एस पी (MSP) ,एमएसपी कैलक्युलेशन,उत्पाद की लागत निकालने का तरीका को भी एक बार समझाएंगे। इसके अलावा स्वामीनाथन आयोगका भी बात किसको किसान भाई मांग कर रहे है और अंत में धारा 144 पर भी बात करेंगे।
आखिर जो किसान आंदोलन कर रहे हैं इन आंदोलनों की असली वजह क्या है?
एक बार उनकी वजह को भी जानने की कोशिश करते हैं। सबसे पहले अगर मांग की बात करें तो किसानों की ओर से मांग की जा रही है कि सरकार सबसे पहले तो न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी की मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) को ले करके इसकी गारंटी देने वाला एक कानून लेकर के आए। इस कानून में ये स्पष्ट तौर पर लिखा हो कि हम जो सरकार है वो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करेगी। अब आपको याद होगा कि 2021 में इसी तरह का एक आंदोलन हुआ था जो की एक व्यापक किसान आंदोलन आपको देखने को मिला था और ये किसान आंदोलन जब समाप्त हुआ था जब सरकार ने किसानों से वादा किया था की इस संबंध में एक कानून को लेकर के आएँगे।
लेकिन अभी तक सरकार की ओर से इस संबंध में कोई भी कानून लागू नहीं किया गया है तो इसी को देखते हुए इसी से नाराज होकर किसान एक बार फिर से आंदोलन कर रहे हैं।
इसके अलावा कुछ और मांगें भी हैं। उन अन्य मांगों पर अगर आप बात करें तो
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें को लागू किया जाए।
- किसानों और जो खेतों पर मजदूर काम करते हैं,उनके लिए पेंशन की व्यवस्था की जाए
- कृषि ऋण माफ़ किया जाए
- उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों के साथ कुछ हिंसात्मक घटनाएं की न्याय
आपको याद होगा बीते दिनों लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों के साथ कुछ हिंसात्मक घटनाएं देखने को मिली थी। जिन घटनाओं में तकरीबन 10 किसानों ने अपनी जान गंवाई थी। लखीमपुर खीरी में जो घटना हुई थी, उस घटना में किसानों को न्याय दिया जाए। जो लोग इस पूरी घटना में इन्वॉल्व थे, उन लोगों को सजा प्रदान की जाए ,ये तमाम मांगें हैं जो कि किसानों की ओर से की जा रही है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी की मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP)
किसान भाइयो का एम एस पी (MSP) यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य के कानून बनाने की मांग कर रहे है। पहले जानते है की एम एस पी का क्या मतलब है?
एम एस पी वो दर है जीस दर पर सरकार जो है किसानों की फसल को खरीदती है उसकी प्राइस को आप एम एस पी कहते हैं।इसके अलावा सरकार बेसिकली किसानों की सहायता के लिए इस तरह के कार्यक्रम चलाती हैं और वर्तमान समय में सरकार तकरीबन 22 फसलों पर अनिवार्य तौर पर एम एस पी की लिस्ट मे रखी गयी है और एक फसल पर उचित और लाभकारी(FRP) मूल्य दिया जाता है तो कुल 23 फसलों पर सरकार जो है इस तरह की व्यवस्था करती है जिसमें से 22 फसलों पर आपका एम एस पी है। और एक फसल पर आपका FRP है यानी कि उचित और लाभकारी मूल्य है।एम एस पी कितने फसलों पर मिलते है नीचे दिये गए है-
- खरीफ की फसल- 14 फसलें हैं
- रबी – 6 फसलों पर एमएसपी मिलती है
- और जो दो फसलें है वो आपका व्यावसायिक फसलें यानी की कमर्शियल क्रॉप्स है
एमएसपी कैलक्युलेशन (MSP calculation)
इसके अलावा एमएसपी का निर्धारण जो होता है, जो कैलकुलेशन होता है वो आपका कृषि लागत और मूल्य आयोग द्वारा किया जाता है और इसका गठन 1965 में हुआ था। लेकिन इस संबंध में जो इम्पोर्टेन्ट डिसिशन है, जो अंतिम डिसिशन है, वो आपका आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति यानी इकोनॉमिक अफेयर्स की उसकी ओर से लिया जाता है, जो कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में काम करती है। आपका ये जो पूरा आयोग है, इस आयोग के द्वारा उत्पाद की जो लागत है उसकी उसको कैलकुलेट किया जाता है। उस पर विचार किया जाता है और उसके आधार पर एमएसपी का निर्धारण करते हैं।
उत्पाद की लागत निकालने का तरीका-
A2 तरीका
अब उत्पाद की लागत निकालने के लिए आपके पास तीन तरीका मौजूद हैं। इसमें से पहला तरीका है आपका A2 मेथड। इसमें बेसिकली आप जो है प्रत्यक्ष लागत निकालते हैं, जो डायरेक्ट कॉस्ट है। जैसे कि आपका खेती करने में बीज काम आते है तो बीज खरीदने के जो पैसे लगते हैं उर्वरक खरीदने के। इसके अलावा कीटनाशकों को खरीदने के लिए श्रम के जो पैसे लगते हैं। ईंधन के जो पैसे लगते हैं, इसके अलावा आपका सिंचाई की जो पैसे लगते हैं, ये सारा आपका डायरेक्ट कॉस्ट हो गया तो इसको आप A2 कैटेगरी में शामिल करते हैं।
A2 +FL तरीका(मेथड)
A2 +FL बेसिकली आपका A2 शामिल होता है और इसके अलावा आपका जो अवैतनिक पारिवारिक श्रम भी शामिल होते है। अवैतनिक पारिवारिक श्रम यानी की अगर आप खेती करने के लिए अगर आप अपने परिवार का भी इस्तेमाल करते हैं तो इसको आप पारिवारिक अवैतनिक श्रम कहते हैं यानी की जिसमे जिसमे आपको परिवार को पैसा तो नहीं देना पड़ा लेकिन श्रम का इस्तेमाल जरूर हुआ तो इसको आप A2 +FL मे शामिल करते हैं।
C2 तरीका
C2 मेथड में बेसिकली आपका सबसे पहले तो A2 +FL शामिल होता है। इसके अलावा किसान की स्वामित्व वाली भूमि है, उसके कॉस्ट को शामिल किया जाता है, किसान की जो अचल संपत्ति है उसको शामिल किया जाता है।
यह तमाम मेथड है। जिन मेथड्स के आधार पर भारत में आपका उत्पाद लागत को कैलकुलेट किया जाता है और उसके बेस पर जो है आपका CACP जो आयोग है वो आयोग आपके एमएसपी का निर्धारण करता है।
स्वामीनाथन आयोग
स्वामीनाथन आयोग का गठन सरकार की ओर से 2004 में किया गया था और ऑफियल तौर पर इस आयोग को राष्ट्रीय किसान आयोग (NCF) के नाम से जाना जाता है। लेकिन क्योंकि इसके जो अध्यक्ष थे वो डॉक्टर एमएस स्वामीनाथन हैं तो उन्हीं के नाम पर इस पूरी कमिटी को अपना नाम मिला था। इसलिए इस वजह से इसको कमिटी को स्वामीनाथन आयोग के नाम से भी जाना जाता है।
स्वामीनाथन आयोग सुझाव क्या कह दिए गए थे?
स्वामीनाथन आयोग का बहुत सारे सुझाव थे कुछ महत्पुर्ण सुझावों को अगर आप देखे तो उसमे एक सुझाव यह था कि आप
- देश में खाद्य और न्यूट्रिशनल सेक्युरिटी सुनिश्चित करने के लिए रणनीति तैयार करें।
- फार्मिंग सिस्टम की प्रोडक्टिविटी और में सुधार किया जाए
- वैश्विक कीमतें गिरने पर किसानों को आयात से बचाया जाए।
- C2+50% फॉर्मूला का लागू करना
ऊपर के यह 4 महत्पुर्ण सुझाव थे।
C2+50% फॉर्मूला
C2 तो हमने देख लिया है यह किस आधार पर इसको कैलकुलेट किया जाता है। C2+50% फॉर्मूला में मुख्य तौर पर यह कहा गया था कि एम एस पी सुनिश्चित करने का एक फॉर्मूला था। इस फॉर्मूले में स्वामीनाथन आयोग ने यह कहा था कि किसानों को जो औसत लागत है उस लागत से कम से कम 50% ज्यादा एम एस पी मिलनी चाहिए। यानी की C2 जितना भी निकल करके आता है, इस C2 में हमें 50% अमाउंट जो है और ऐड करना चाहिए अगर इसके उदारण से आप देखे तो अगर C2 किसी फसल का 100 निकल करके आता है तो यहाँ पर हमे 50% और ऐड करना चाहिए और किसानों को हमें ₹150 देनी चाहिए।
सरकार फसल क्यों खरीदती है?
किसानों की फसल को तो सरकार इसलिए खरीदती है ताकि सरकार जो पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम चलाती है, जैसे सरकार राशन कार्ड जो राशन जो प्रदान करती है,कम मूल्य पर राशन की जो खरीदारी की जाती है वो किसानों से की जाती ।
किसान आंदोलन के दौरान धारा 144
अब हम बात करते हैं भारत में धारा 144 की ,ये जो धारा है धारा बेसिकली किसी भी क्षेत्र की जो मजिस्ट्रेट होते हैं उनको यह अधिकार देती है की वो अपने क्षेत्र में चार या फिर चार से ज्यादा लोगों को एक साथ इकट्ठा होने से रोकने का आदेश जारी कर सकते हैं।
धारा 144 कारण क्या होता है, क्यों जारी किया जाता है?
ये आदेश बेसिकली किसी क्षेत्र में उपद्रव को रोकने के लिए इसके अलावा किसी संभावित खतरे को टालने के लिए जारी किया जा सकता है। इसके अलावा यह आदेश जो है वो किसी एक विशेष व्यक्ति के खिलाफ़ भी जारी किया जा सकता है या फिर आम जनता इन जनरल सभी लोगों के खिलाफ़ जारी किया जा सकता है। विशेषता अगर आप बात करें तो यहाँ पर किसी भी प्रकार के हथियार को रखने पर प्रतिबंध लगाया जाता है। और अगर आप इसका उल्लंघन करते हैं तो आपको अधिकतम तीन वर्ष की सजा हो सकती है। इसके अलावा आवा जाही ट्रांसपोर्टेशन पर प्रतिबंध होता है और तमाम एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स बंद कर दिया जाता है इतना ही नहीं किसी भी प्रकार की रैली आप नहीं कर सकते हैं। किसी भी प्रकार की जनसभा आप नहीं कर सकते हैं और साथ ही इन्टरनेट एक्सेस को ब्लॉक करने का अधिकार भी मजिस्ट्रेट को प्रदान किया जाता है। और भारत में लगभग जहाँ भी इंटरनेट ब्लॉक होता है उसमें से अधिकांश में आपको धारा 144 से दिखाई दी जाएगी। तो ये हमने धारा 144 को भी यहाँ पर देख लिया है।