पी. वी. नरसिम्हा राव (P. V. Narasimha Rao) राजनीतिक के चाणक्य जीवन परिचय,राजनीतिक करियर,आर्थिक सुधार,बाबरी मस्जिद के विध्वंस,प्रधान मंत्री काल –
पी. वी. नरसिम्हा राव को 9 फरवरी 2024 को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया है। पी. वी. नरसिम्हा राव बहुभाषाविद, राजनेता और विद्वान, के रूप मे देखा जाता है और उने अक्सर भारतीय राजनीति के चाणक्य के रूप में जाना जाता है, वह अपने प्रधानमंत्री काल के दौरान आर्थिक सुधारों और उनकी कुशल राजनीतिक कुशलता के लिए जाना जाता है। उनकी मृत्यु के 19 साल से अधिक समय बाद भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। 1991-1996 तक प्रधान मंत्री थे। वह दक्षिण से पहले प्रधानमंत्री थे, नेहरू-गांधी परिवार के बाहर के पहले कांग्रेस नेता थे जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।
भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के बाद पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव के बेटा एन वी सुभाष ने शुक्रवार को गांधी परिवार की आलोचना की और कहा कि कांग्रेस पार्टी की विफलताओं के लिए उन्हें बलि का बकरा बनाया जाता था।
पी. वी. नरसिम्हा राव, जिन्हें पी. वी. नारसिंह राव के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय राजनीतिज्ञ और वकील थे जो 1991 से 1996 तक भारत के 9वें प्रधानमंत्री रहे। उनका जन्म 28 जून 1921 को हुआ था और मृत्यु 23 दिसंबर 2004 को हुई थी। वे तेलुगु नियोगी ब्राह्मण परिवार से थे और उन्होंने अपनी राजनीतिक करियर में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था में उदार सुधारों के लिए जाना जाता है और उनके प्रधानमंत्री पद पर चढ़ना राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था क्योंकि वे हिंदी-भाषी क्षेत्र से नहीं थे और पहले दक्षिण भारत (संगठित आंध्र प्रदेश) से थे।
राव ने भारतीय राजनीति में अपनी गहरी छाप छोड़ी और उन्होंने अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार किए। उनका योगदान आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में मान्यता प्राप्त करने में था और उन्हें ‘भारतीय आर्थिक सुधारों के असली पिता’ कहा गया। उनकी अद्वितीय पहचान और क्षमता के कारण उन्हें ‘चाणक्य’ भी कहा गया। उनका निधन 2004 में हुआ और उन्हें राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
पी. वी. नरसिम्हा राव, जिन्हें पी. वी. नारसिंह राव के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय राजनीतिज्ञ और वकील थे जो 1991 से 1996 तक भारत के 9वें प्रधानमंत्री रहे थे। उनका जन्म 28 जून 1921 को हुआ था और मृत्यु 23 दिसंबर 2004 को हुई थी। वे तेलुगु नियोगी ब्राह्मण परिवार से थे और उन्होंने अपनी राजनीतिक करियर में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था। उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था में उदार सुधारों के लिए जाना जाता है और उनके प्रधानमंत्री पद पर चढ़ना राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था क्योंकि वे हिंदी-भाषी क्षेत्र से नहीं थे और पहले दक्षिण भारत (संगठित आंध्र प्रदेश) से थे।
राव ने भारतीय राजनीति में अपनी गहरी छाप छोड़ी और उन्होंने अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार किए। उनका योगदान आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में मान्यता प्राप्त करने में था और उन्हें ‘भारतीय आर्थिक सुधारों के असली पिता’ कहा गया। उनकी अद्वितीय पहचान और क्षमता के कारण उन्हें ‘चाणक्य’ भी कहा गया।
प्रारंभिक जीवन परिचय –
पी. वी. नरसिम्हा राव का प्रारंभिक जीवन काफी गरीब परिवार में हुआ था। उनका जन्म 28 जून 1921 को आंध्र प्रदेश के वारंगल ज़िले के लकनेपल्ली गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम सीताराम राव और माता का नाम रुक्मा बाई था। वे एक नियोगी ब्राह्मण परिवार से थे और उनके माता-पिता कृषि से जुड़े थे।
नरसिम्हा राव का बचपन काफी कठिन था, और उन्हें बचपन में ही अपने परिवार की आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण, उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा काटकुरु गाँव के एक रिलेटिव के घर में पूरी की। वह अपने स्नातक की पढ़ाई ओसमानिया विश्वविद्यालय के कला महाविद्यालय में पूरी करने के लिए नागपुर चले गए थे। उन्होंने वहां से विधि में ग्राजुएशन की डिग्री प्राप्त की।
पढ़ाई के बाद, वे लगभग एक दशक तक विभिन्न वकीली पदों पर काम करते रहे और अपनी क्षमताओं को साबित करते रहे। इसके बाद, उन्होंने राजनीतिक करियर की दिशा में कदम बढ़ाया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंडिया) में शामिल हो गए। यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने उन्हें भारत के प्रधानमंत्री बनने मे मदद हुआ और उन्हें देश के अर्थनीति और राजनीतिक मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का मौका मिला।
राजनीति में प्रवेश (Entry into Politics)
पी. वी. नरसिम्हा राव ने राजनीति में प्रवेश किया जब उन्होंने अपने वकीली करियर के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंडिया) में शामिल हो गए। उन्होंने आंध्र प्रदेश राज्य के विधायिका सभा के लिए 1957 से 1977 तक चुनाव लड़ा और वहां चुने गए थे । इसके बाद, उन्होंने 1962 से 1973 तक आंध्र प्रदेश सरकार में विभिन्न मंत्री पदों पर कार्य किया।
1971 में, उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाया गया और उन्होंने भूमि सुधार और भूमि सीमा अधिनियम को सख्ती से लागू करने का कार्य किया। उन्होंने अपने कार्यकाल में राज्य में न्यायिक सुधारों का समर्थन किया और अपने कार्यों से लोगों की पहचान बनाई।
नरसिम्हा राव ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत की और उन्होंने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका राजनीतिक जीवन भारतीय समाज के लिए महत्वपूर्ण परिवर्तन और विकास की दिशा में एक नई क्रियाशीलता की ओर प्रेरित करता रहा।
पी. वी. नरसिम्हा राव का राजनीतिक करियर उनके उदार दृष्टिकोण और सकारात्मक परिवर्तनों के लिए जाना जाता है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होकर अपनी प्रेरणा से भरे राजनीतिक सफर की शुरुआत की।
स्वतंत्रता संग्राम और शासन में योगदान: पी. वी. नरसिम्हा राव ने स्वतंत्रता संग्राम के समय अपनी सकारात्मक भूमिका के लिए पहचान बनाई। स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होकर विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बनना: उन्होंने 1971 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली और वहां भूमि सुधार और भूमि सीमा अधिनियम को लागू करने का कार्य किया। उनके कार्यकाल में आंध्र प्रदेश में न्यायिक सुधारों और विकास के क्षेत्र में प्रमुख परिवर्तन हुआ।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में प्रमुख भूमिका: पी. वी. नरसिम्हा राव ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में महत्वपूर्ण भूमिकाओं का सामर्थ्यपूर्ण समर्थन किया और विभिन्न मंत्रालयों में अपनी योगदान दी। उन्होंने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कैबिनेट में उच्च पदों पर कार्य किया।
आर्थिक सुधार और विदेशी नीतियों में परिवर्तन: 1991 की आर्थिक संकट के समय, उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार करने और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए। इससे भारत में आर्थिक लिबरलीजेशन की प्रक्रिया शुरू हुई और नरसिम्हा राव को ‘भारतीय आर्थिक सुधारों के पिता’ के रूप में सम्मानित किया गया।
बाबरी मस्जिद के विध्वंस के समय: पी. वी. नरसिम्हा राव का राजनीतिक क्रियाकलाप बाबरी मस्जिद के विध्वंस के समय एक महत्वपूर्ण रोल नहीं रहा। उन्होंने इस घटना को रोकने के लिए प्रयास किए थे, लेकिन उनकी सरकार ने विफलता का सामना किया। बाबरी मस्जिद के विध्वंस का समय 6 दिसंबर 1992 को हुआ था, जब भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा) और विश्व हिन्दू परिषद (वी.एच.पी.) के समर्थन में लाखों लोग अयोध्या में एक बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया। इस मस्जिद के विध्वंस ने देशभर में भयंकर आपातकालिन स्थिति उत्पन्न की और यह हिन्दू-मुस्लिम सांप्रदायिक विवाद का कारण बना था। राजनीतिक दळों के बीच विवाद और तनाव थे और बाबरी मस्जिद के विध्वंस की घटना में उनकी सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए थे। इस घटना के बाद, विभिन्न राजनीतिक दलों में तनाव बढ़ा और देशभर में हिंसा फैली। इस दौरान कई स्थानों पर दंगे हुए और सामाजिक एकता में कमी हुई। बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद, पी. वी. नरसिम्हा राव को भी इसके संबंध में कई आरोप लगे, लेकिन उन्होंने खुद को इससे मुक्त कराया और न्यायिक दल ने उन्हें बरी कर दिया।
पी. वी. नरसिम्हा राव का राजनीतिक करियर एक योजनाबद्ध और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ था, जिससे उन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण पहचान बनाई।
पी. वी. नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री काल (1991–1996)
नरसिम्हा राव ने 1991 में प्रधानमंत्री पद की कमान संभाली जब भारत एक आर्थिक संकट से गुजर रहा था। उनकी कड़ी कठिनाईयों और राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने अपने कौशल और नेतृत्व में बदलाव करके देश को आर्थिक सुधार की दिशा में मोड़ने में सफलता प्राप्त की। उनकी प्रमुख कार्रवाईयों में से कुछ निम्नलिखित हैं:
राजीव गांधी आर्थिक सुधार पैकेज: 1991 में हुई आर्थिक संकट के समय, नरसिम्हा राव ने राजीव गांधी आर्थिक सुधार पैकेज का आयोजन किया। इसमें विदेशी निवेश को बढ़ावा देने, बाजारीय आर्थिक प्रणाली को मुक्त करने, और सार्वजनिक क्षेत्र की निजीकरण को समर्थन करने जैसी कई कदम शामिल थे।
विदेशी निवेश को बढ़ावा: नरसिम्हा राव ने विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए। इससे भारत को विदेशी पूंजी की आवश्यकता पूरी होती रही और अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ।
विनिवेशी निवेश में सुधार: उन्होंने बाजार को और अधिक विनिवेशी बनाने के लिए विभिन्न प्रतिबंधों को हटाया और विनिवेशी निवेश को बढ़ावा दिया।
अर्थव्यवस्था में सुधारों की प्रक्रिया: नरसिम्हा राव ने अर्थव्यवस्था में सुधारों की प्रक्रिया को अग्रसर किया, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में निवेश बढ़ा, और उद्यमिता और उत्पादकता में सुधार हुआ।
राष्ट्रीय अमल की शुरुआत: नरसिम्हा राव ने राष्ट्रीय अमल की शुरुआत की, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ और देश को गरीबी से बाहर लाने का प्रयास किया।
नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्री पद के कार्यकाल में भारत के आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए, जिनका उन्होंने महत्वपूर्ण योजनाओं के माध्यम से समर्थन किया।
भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक (Father of Indian nuclear programme)
पी. वी. नरसिम्हा राव को भारतीय परमाणु कार्यक्रम के ‘पिता’ के रूप में जाना जाता है। उन्होंने भारतीय परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योजनाएं स्थापित की और देश को परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में स्वायत्तता प्राप्त करने की दिशा में कदम उठाये।
नरसिम्हा राव की कुशल नेतृत्व में ही भारत ने 1998 में पोकरण न्यूक्लियर टेस्टों का आयोजन किया, जिससे देश ने अपनी परमाणु शक्ति को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया। उनका योगदान भारतीय न्यूक्लियर क्षेत्र में स्थापिति बढ़ाने में था और इस क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग प्रदर्शन करता है। उन्हें भारतीय परमाणु कार्यक्रम के शिक्षाप्रद प्रमुख रूप से माना जाता है जिन्होंने अपने दौरे पर कई योजनाएं स्थापित की और न्यूक्लियर प्रौद्योगिकी में भारत को आगे बढ़ाने का साहस दिखाया।
पुरस्कार (Awards)
राव को 9 फरवरी 2024 को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। राव को प्रतिभा मूर्ति लाइफटाइम एचीवमेंट अवॉर्ड से भी नवाजा गया। कई पार्टी के लोग राव के लिए भारत रत्न का नाम समर्थन करते थे। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने राव को भारत रत्न देने का समर्थन किया। भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी राव को भारत रत्न देने का समर्थन किया।
सितंबर 2020 में, तेलंगाना विधानसभा ने एक संविदान पूर्ण करने का सुझाव अपनाया जिसमें राव को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की गई। इस संविदान ने सीधे सरकार से भी मांग की कि विश्वविद्यालय को उनके नाम पर रखा जाए।
पी. वी. नरसिंह राव का परिवार
पति / पत्नी: पी वी. नरसिंह राव की पत्नी का नाम रुक्मा बाई था, जो 1970 में उनकी मौत हो गई थी।
बच्चे: पी. वी. नरसिंह राव के आठ बच्चे थे, जिनके नाम और विवरण निम्नलिखित हैं:
पंडित न. वेंकटरामन ,रुक्मिणी,चंद्रशेखर,नागमणि,रामेश्वर,सत्यम,अर्जुन,विश्वजीत
इसके अलावा, उनके द्वारा गोद लिए गए रुक्माम्मा और पामुलपार्थी रंगाराव के भी उनके अस्तित्व में एक महत्वपूर्ण भूमिका थी।
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निस्कर्ष-
पी. वी. नरसिम्हा राव, भारतीय राजनीति के प्रमुख नेताओं में से एक थे जिन्होंने अपने लंबे और सेवाभावी करियर के दौरान देश के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी अपनी भूमिका निभाई और स्वतंत्रता के बाद राजनीति में भी अपनी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान, उन्होंने आर्थिक और वित्तीय सुधारों का सामर्थ्यपूर्ण अनुसरण किया और भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नए दिशा में मोड़ने का प्रयास किया।
FAQs
Ques- पी. वी. नरसिंह राव की पार्टी क्या थी?
Ans- पी. वी. नरसिंह राव ने अपनी राजनीतिक करियर को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में शुरू किया था।
Ques- 1992 में भारत में प्रधानमंत्री कौन थे?
Ans – 1992 में भारत में प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिंह राव थे।
Ques- पी. वी. नरसिंह राव कौन थे?
Ans-पी. वी. नरसिंह राव भारत के दसवें प्रधानमंत्री थे और उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
Ques- पी. वी. नरसिंह राव को कब भारत रत्न से सम्मानित किया गया था?
Ans-पी. वी. नरसिंह राव को 9 फरवरी 2024 को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
Ques- पी. वी. नरसिंह राव को कौन-कौन से सम्मान मिले थे?
Ans-पी. वी. नरसिंह राव को भारत रत्न के साथ ही प्रतिभा मूर्ति लाइफटाइम एचीवमेंट अवॉर्ड भी मिला था।
Ques- क्या पी. वी. नरसिंह राव को कभी दलाली के आरोप लगे थे?
Ans-हां, पी. वी. नरसिंह राव पर कई मामलों में दलाली के आरोप लगे थे, लेकिन कुछ मामलों में उन्हें बरी कर दिया गया था।
Ques- पी. वी. नरसिंह राव की मौत किस तारीख को हुई थी?
Ans-पी. वी. नरसिंह राव की मौत 23 दिसंबर 2004 को हुई थी, जो एक हृदयाघात के कारण हुआ था।
Ques- पी. वी. नरसिंह राव का निधन कैसे हुआ था?
Ans-पी. वी. नरसिंह राव को 9 दिसंबर 2004 को हृदयाघात हो गया था, और उन्हें इसके बाद 14 दिनों तक आईएमएस में भर्ती रखा गया था, जहां उनकी मौत हो गई।
Ques- पी. वी. नरसिंह राव का राजनीतिक करियर कैसा था?
Ans-पी. वी. नरसिंह राव ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में की और उसके बाद उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में राजनीति में कदम रखा।
Ques- पी. वी. नरसिंह राव के कुछ महत्वपूर्ण कदम क्ये थे?
Ans-पी. वी. नरसिंह राव ने भारतीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जैसे कि आर्थिक सुधार, आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम उठाना और भूमि सुधार की प्रक्रिया को मजबूत करना।
Ques- पी. वी. नरसिंह राव को कौन-कौन से पुरस्कार मिले थे?
Ans-पी. वी. नरसिंह राव को भारत रत्न के साथ-साथ प्रतिभा मूर्ति लाइफटाइम एचीवमेंट अवॉर्ड भी मिला था।