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जॉम्बी वायरस (Zombie Virus): प्राचीन बर्फीले क्षेत्रों से संकटकारी वायरसों का खतरा, क्या ले सकती महामारी का रूप?

जॉम्बी वायरस (Zombie Virus): प्राचीन बर्फीले क्षेत्रों से संकटकारी वायरसों का खतरा, क्या ले सकती महामारी का रूप?

जॉम्बी वायरस (Zombie Virus): प्राचीन बर्फीले क्षेत्रों से संकटकारी वायरसों का खतरा, क्या ले सकती महामारी का रूप?

जॉम्बी वायरस (Zombie Virus): खतरनाक प्राचीन सूक्ष्मजीवों से उत्पन्न होने वाले वायरस के सम्बंध मे-

हाल के वर्षों में हमारे प्लैनेट (planet) ने जो जलवायु परिवर्तन का सामना कर रहा है ,उससे मौसम घटनाओ मे परिवर्तन-जैसे की शरद ऋतु के बीच गर्मी की लहरें, रिकॉर्ड तापमान, और भारी बर्फबारी जैसी अत्यंत मौसम घटनाएं हो रही हैं। यह तक की प्रमुख ग्लेशियर्स की स्थानीय बर्फ तेजी से पिघल रही है। हमारी प्रकृति के साथ खेलने के परिणामस्वरूप अब हमारे सामने एक और खतरा है हाल के अनुसंधान के अनुसार, साइबेरियाई क्षेत्र में जॉम्बी वायरस (Zombie Virus) के बड़े पुनर्जीवन का खुलासा किया गया है – प्राचीन वायरस जो अपनी शीतल नींद से जाग उठे हैं। इससे नई संक्रामक चुनौतियों की संभावना है, जो जानवरों या मानवों को प्रभावित कर सकती हैं, नए संक्रामक चुनौतियों का एक नया दौर ला सकते हैं।

चार साल पहले हमने देखा कैसे एक वायरस ने मानवों पर कैसे भयंकर प्रभाव डाला था,जी हा हम बात कर रहे है कोरोनावायरस जो पूरी दुनिया को रोक दिया, हजारों जीवनों को अद्यतित किया था, इसे नियंत्रित करने के लिए विश्व भर में व्यापक उपायों की आवश्यकता थी। तेजी से उसके प्रसार को रोकने के लिए टीके विकसित किए गए और अब तक दुनिया COVID-19 के दीर्घकालिक प्रभावों से संघर्ष कर रही है। यह थी केवल एक वायरस की कहानी,और इसकी मौत की दर 4% से ज्यादा नहीं थी।
लेकिन आज के दौर में, हमारी प्रकृति के साथ खेलने के परिणामस्वरूप अब हमारे सामने एक और खतरा है जो है-जॉम्बी वायरस(Zombie Virus) का खतरा।

जॉम्बी वायरस (Zombie Virus) क्या है और कहा से शब्द को लिया गया है ?

जॉम्बी वायरस एक कल्पनात्मक शब्द है जिसे आमतौर से किसी वायरस को विशेष रूप से बयान करने के लिए उपयोग किया जाता है जो किसी व्यक्ति को मौत के बाद जिन्दा होने का अवधारित करता है। यह शब्द खौफनाक संभावनाओं और भौतिक परिवर्तनों को डिपिक्ट करने के लिए फिल्मों और टीवी शोज़ में आमतौर पर उपयोग होता है, जहां लोग मौत के बाद संबंधित रूप से जिन्दा हो जाते हैं और अन्य लोगों को संक्रमित करने का प्रयास करते हैं।
इसी सब समरूप देखते हुए साइबेरियाई क्षेत्र में पुनर्जीवन होने वाले virus का नाम जॉम्बी वायरस(Zombie Virus) कहा जा रहा है।

जॉम्बी वायरस (Zombie Virus) पुनर्जीवन कहा और कैसे हुआ है?

रूस के साइबेरियाई क्षेत्र में, जॉम्बी वायरस की पुनर्जीवन का खुलासा किया है—प्राचीन वायरस जो अपनी शीतल नींद से जाग उठे हैं। शोधकर्ता-जीन मरी ओलंपिक, चेतावनी देते हैं कि इन पुनर्जीवित वायरसों का सामान्य स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है। इस प्रकार के वायरसों की पुनर्जीवन से कई नई संक्रामक चुनौतियों का समर्थन कर सकता है, जो जानवरों या यहाँ तक कि मानवों को भी प्रभावित कर सकते हैं। जॉम्बी वायरस (Zombie Virus) का जन्म साइबेरियाई परमाफ्रॉस्ट के नीचे दशकों से भी ज्यादा समय तक बर्फबारी रूप से रखे गए भूमि के अंदर हुआ है। यह एक प्राचीन वायरस है जिसे ठंडक में जिंदा रहने की अनूठी क्षमता है। साइंटिस्ट्स ने साइबेरिया, कैनडा, और अलास्का के परमाफ्रॉस्ट के पिघलने के कारण इसकी तलाश में अविश्वासनीय मात्रा में वायरसों के मौजूद होने की खोज की है।

पर्माफ्रॉस्ट (permafrost) क्या है और इसकी पिघलने से क्या समस्या है?

पर्माफ्रॉस्ट (permafrost) का पिघलने से zombi virus का जन्म

पर्माफ़्रोस्ट (permafrost) ऐसी धरती को बोलते हैं जिसमें मिट्टी लगातार कम-से-कम दो वर्षों तक पानी जमने के तापमान (यानि शुन्य सेंटीग्रेड) से कम तापमान पर रही हो। इस प्रकार की धरती में मौजूद पानी अक्सर मिटटी के साथ मिलकर उसे इतनी सख़्ती से जमा देता है कि मिटटी भी सीमेंट या पत्थर जैसी कठोर हो जाती है। पर्माफ़्रोस्ट वाले स्थान अधिकतर पृथ्वी के ध्रुवों के पास ही होते हैं जैसे कि साइबेरिया, ग्रीनलैंड व अलास्का, हालांकि कुछ ऊँचे पहाड़ी क्षेत्रों जैसे कि तिब्बत व लद्दाख़ हो सकते है। जलवायु परिवर्तन की निरंतर बढ़ती गति से पर्माफ्रॉस्ट का बर्फी ढाल पिघल रहा है जिससे वैज्ञानिकों को एक नई कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है क्यो की पर्माफ्रॉस्ट में छुपे प्राचीन सूक्ष्मजीवों बाहर आ रहे है।

आर्कटिक मॉनिटरिंग नेटवर्क शुरुआत-

इस खतरे को मानते हुए, शोधकर्ताओं ने एक आर्कटिक मॉनिटरिंग नेटवर्क की शुरुआत की है। यह नेटवर्क प्राचीन माइक्रोआर्गेनिज्म(सूक्ष्मजीवाणुओं) द्वारा उत्पन्न रोगों के समय पर पहचानने का लक्ष्य है- समुद्री जीवों और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित क्षेत्रों की निगरानी करता है ताकि किसी भी खतरे को समय रहते पहचाना जा सके और लोगों को सुरक्षित रखा जा सके इसका उद्देश्य है तात्कालिक समस्याओं का समर्थन करना और समुद्री जीवों को बचाने में मदद करना ताकि जीवाणु संक्रमण से बचा जा सके।

 

पर्माफ्रॉस्ट मे छिपी हुई वायरसों का खतरा-

वैज्ञानिक स्पष्ट रूप से सोच रहे हैं कि पर्माफ्रॉस्ट की सबसे गहरी परतें शायद 48000 वर्ष पहले के वायरसों को छुपा रखी है । यह चिंता बढ़ जाती है जब ये प्राचीन वायरस, यदि वह  रिहा हो जाए, तो भयानक परिणामों की ओर ले जा सकते हैं। संभावित स्थितियों में एक अज्ञात वायरस के एक और कदम की राह पर चलने का खतरा है, जो पर्माफ्रॉस्ट की ठंडी सीमाओं में छिपा है।

नैतिक दुविधा-

पर्माफ्रॉस्ट में छुपे प्राचीन वायरसों के वैज्ञानिक अन्वेषण ने नैतिक चिंताएं उत्पन्न की हैं। जैसा कि मानवता अपने अतीत के रहस्यों को समझने की दिशा में आगे बढ़ रही है, प्राकृतिक तत्वों के साथ मानव हस्तक्षेप के संभावनात्मक खतरे सामने आ रहे हैं। यह दुविधा हॉलीवुड फिल्मों हमेसा दिखाये मेंजाते है ,जहां प्राकृतिक तत्वों के साथ मानव हस्तक्षेप से अनपेक्षित हानि होती है।

जलवायु परिवर्तन और जॉम्बी वायरस के बीच संबंध-

जलवायु परिवर्तन और जॉम्बी वायरस के बीच संबंध के बारे में विचार करना जरूरी है। जलवायु परिवर्तन के कारण पर्माफ्रॉस्ट का पिघलना, जिससे विभिन्न प्राचीन कीटाणु और वायरस मुक्त हो सकते हैं,तो इससे जीवों को और मानवों को नए बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
जॉम्बी वायरस के संबंध में, यह दिखा जा रहा है कि पर्माफ्रॉस्ट के नीचे बर्फबारी के क्षेत्रों में हजारों साल पुराने वायरस हो सकते हैं जो पुनर्जीवित हो सकते हैं और नए संक्रमण का कारण बन सकते हैं। इन वायरसों के पुनर्जीवन की संभावना से यह खतरा है यदि इन्हें सावधानी से संबोधित नहीं किया जाता है,तो वे जल्दी से फैल सकते हैं और जनसंख्या को प्रभावित कर सकते हैं। इससे यह भी साबित होता है कि प्राकृतिक परिवर्तन और मानव क्रियाएं एक-दूसरे के साथ गहरे संबंध में हैं, और हमें अपने पर्यावरण के साथ सही से संबंध बनाए रखने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष-

इस लेख से हम जाने हैं कि बदलते जलवायु के साथ आने वाली रूग्णक और नए जीवाणुओं के खतरे ने हमें एक नए दौर के सामने खड़ा कर दिया है। जॉम्बी वायरस की पुनर्जीवन और पर्माफ्रॉस्ट में छुपे प्राचीन वायरसों के प्रसार की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए हमें इन खतरों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।

FAQs

Ques-1 जॉम्बी वायरस के कितने प्रकार और उनके क्या  प्रभाव है ?

Ans- जॉम्बी वायरस के विभिन्न प्रकार और उनके प्रभाव:

  1. शारीरिक परिणाम:
    • मौत का रोग: यह वायरस शिकार को बहुतें करके उन्हें बिना किसी विचार-विमर्श के मौत की ओर बढ़ा सकता है।
    • रीढ़ की हड्डी की सुजान: शिकार की रीढ़ की हड्डी की सुजान होने के कारण उसकी गतिविधियों में कमी हो सकती है।
  2. बूँदें विकसित करने वाले जॉम्बी वायरस:
    • विषैले रूप: कुछ जॉम्बी वायरस शिकार को बिना ज्यादा समय लगाए उन्हें बूँदें बनाने की क्षमता रखते हैं, जिससे उनका प्रसार तेजी से होता है।
    • मस्तिष्क विकास: कुछ वायरस मस्तिष्क में परिवर्तन कर सकते हैं, जिससे शिकार ज्यादा हिंसक और अज्ञानी बन जाता है।
  3. विशेषज्ञ जॉम्बी वायरस:
    • मरकर ना मरने वाला: कुछ जॉम्बी वायरस शिकार को मारने के बाद भी उन्हें जीवित बना सकते हैं, जिससे उन्हें बड़े समूहों में जनसंख्या का कब्जा हो सकता है।
  4. फ्लेश इटिंग जॉम्बी वायरस:
    • जिज्ञासा: शिकारियों में अत्यधिक जिज्ञासा बढ़ाने के लिए इस वायरस का उपयोग किया जा सकता है, जिससे वे खतरनाक चरम पर पहुंचते हैं।

ये जॉम्बी वायरस के विभिन्न प्रकार हैं जो अलग-अलग प्रभाव और खतरे उत्पन्न कर सकते हैं। लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक प्रूफ नहीं मिला है।

Ques-1 आर्कटिक बायोडाइवर्सिटी को महत्वपूर्ण क्यो है?

Ans- आर्कटिक बायोडाइवर्सिटी को महत्वपूर्ण बनाए रखने के लिए हमें नए एकोसिस्टम प्रबंधन की ओर बढ़ना होगा। अर्थात प्राकृतिक संसाधनों के सही उपयोग और संरक्षण के लिए वैज्ञानिक और स्थानीय ज्ञान का संग्रहण एवं उपयोग करना होगा। इसके साथ ही, अर्कटिक के संसाधनों की बढ़ती मांग और जलवायु परिवर्तन के आसार के खिलाफ सुरक्षित और सस्ते उपायों की तलाश में आगे बढ़ना होगा। यह हमारे भविष्य की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि अर्कटिक बायोडाइवर्सिटी हमारे सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय हितों से संबंधित है।

 

 

 

 

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